कुछ वक़्त की लकीरों के मायने गलत निकलें
कुछ हकीकतो के अर्थ गलत निकलें
जिंदगी पसरती रही आँचल अपना
कुछ खवाब गलत निकलें
कुछ अंदाज़ गलत निकलें
यु ही तीर-तुक्को के बीच
चुक गए निशाने कई
दमन हवाओ का उड़ता रहा यु ही
कभी हवा हमसे चुक गयी
कभी हम हवा से चुक गए
कितना कुछ कहना
कितना कुछ सुनना
और ना जाने
क्या-क्या रह गया
हम देखते ही रह गए
और ये वक़्त
ना जाने
क्या से क्या कह गया
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