Tuesday, November 15, 2011

मैं...


मैं जानता हूँ
मैं झोपडी सा
तिनकों-तिनकों से जुड़ा हुआ
जड़ें जमीं में
सिर हवा में
आंधी भी होगी
बारिश भी होगी
अगर
अस्तित्व मेरा लगे डगमगाने
और जड़ें
हिलने लगे
मेरे आदर्शों को
कोई कुछ ना बोले
वो तो
वहीँ हैं
वही रहेंगे
वो मैं हूँ
जो झेल सका ना
आंधी और बारिश
अगर
कभी ये हो गया तो
वो हार मेरी
वो मैं हूँ हारा!


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