Friday, November 18, 2011

तुम...

चलते-चलते तुम मिले थे
चलते-चलते बिछड़ गये
क्या है गम
तुम साथ नहीं हो
साथ है यादें मेरे
यादें तेरी मेरा हिस्सा
फिर कैसे तुम मुझसे जुदा

घोर उदासी में भी आकर
मेरे बालों को सहलाकर
भीगी आँखें पोछती तुम
साँस थमाती गले लगाकर
हसती तुम फिर खिलखिलाकर

सपने मेरे जिंदा रहें
जीवन मेरा सजा रहे
होठों पर हर दम हँसी
चांदनी मुख पर रहे
यही तो सपना तेरा
यही तो जीवन तेरा
अजीब कहानी हो तुम
एक अँधेरी रौशनी तुम!



No comments:

Post a Comment