Tuesday, August 9, 2011

जिंदगी...

जिंदगी की कलम कुछ ऐसे फिसली
हर रास्ता हो गया चोराहा
हर रास्ता वीरान हो गया
हर मजिल अनजान हो गयी
हर वक़्त चलने की कसक थी
सफ़र तो तय हो गया
मगर दूरियाँ कुछ ऐसी बिखरी
हर फैसला फासला दे गया!

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